फसल-उत्पादन - पोषण   

 

अमरूद (साईडियम गुजाव) अमरूद विटामिन सी का उत्तम स्रोत है। चूँकि अमरूद में वर्ष भर फल लगते हैं, इसलिए उत्पादकता और पेड़ के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सही मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग अनिवार्य है।  

  • पोषण:  बढ़ती वृद्धि, फल-उपज और गुणवत्ता के संबंध में अमरूद जैविक और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर अच्छी अनुक्रिया व्यक्त करता है। देश के विभिन्न भागों में अमरूद के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के बारे में किए गए परीक्षणों से पता चला कि यह किस्म, जलवायु, मृदा के प्रकार, फसल-पद्धति और खेती की गहनता जैसे कई कारकों पर निर्भर है, जिनके आधार पर उर्वरक की मात्रा के संबंध में प्रयोगिक सामान्य अनुशंसाएँ दी गईं, जो निम्नलिखित हैं:

  • राज्य

    नत्रजन/फॉस्फोरस/पोटाश ग्रा./पेड़

    पश्चिम बंगाल

    260-454 ग्रा. नत्रजन + 160-260 ग्रा. फॉस्फोरस + 260 ग्रा. पोटाश

    उत्तर प्रदेश

    60 ग्रा. नत्रजन + 40 ग्रा. फॉस्फोरस + 40 ग्रा. पोटाश

    तमिल नाडू

    1 कि.ग्रा. नत्रजन + 1 कि.ग्रा. फॉस्फोरस + 1 कि.ग्रा. पोटाश

    बैंगलूरु

    900 ग्रा. नत्रजन + 600 ग्रा. फॉस्फोरस + 600 ग्रा. पोटाश

    बिहार

    500 ग्रा. नत्रजन + 300 ग्रा. फॉस्फोरस + 600 ग्रा. पोटाश

    महाराष्ट्र

    600 ग्रा. नत्रजन + 300 ग्रा. फॉस्फोरस + 300 ग्रा. पोटाश

उर्वरकों की मात्रा का प्रयोग दो भागों में, विशेषकर जून व अक्तूबर में वृत्त में किया जाए, जिसमें धड़ से ड्रिप लाइन तक का 30 से.मी. तक का क्षेत्र शामिल हो। मृदा में उर्वरक को अच्छी तरह मिलाने के लिए 8 स 10 से.मी. का गड्ढा बनाएं। दो से छ्ह प्रतिशत यूरिया के साथ सूक्ष्मपोषक तत्वों का पर्णीय छिड़काव भी वानस्पतिक वृद्धि, फल-उपज और फल की गुणवत्ता बढ़ाता है। अमरूद में ज़िंक और बोरॉन की कमी साधारण है। प्रत्येक पुष्पण के 10 से 14 दिन पहले मृदा में ज़िंक सल्फेट 800 ग्रा./पेड़ या 0.5 प्रतिशत ज़िंक सल्फेट और 0.4 प्रतिशत बोरिक अम्ल से पर्णीय छिड़काव कमियों को दूर करने में प्रभावी है। पर्ण-विश्लेषण के लिए जुलाई-अगस्त या नवंबर-दिसम्बर के दौरान हाल ही में परिपक्व (50-60 दिन पुराने), बढ़ने वाले अग्र भाग से तीसरी जोड़ी पत्तियों का प्रतिचयन करने की अनुशंसा की जाती है। उर्वरक-प्रयोग, पर्ण-संयोजन, उपज और फल-गुणवत्ता के बीच का संबंध पर्ण-पोषण-मानकों पर सुझाव देने के लिए पर्याप्त नहीं थे, क्योंकि यह फसल-पद्धति, खेती की गहनता, मौसम व किस्मों जैसे कई कारकों पर निर्भर है। लेकिन पर्ण-पोषण-मार्गदर्शिका के रूप में निम्नलिखित उत्तम पोषण-श्रेणियों की सुझाव दिया जाता है:

पोषक

श्रेणी

नत्रजन

1.4  से 2.0%

फॉस्फोरस

0.20 से 0.40%

पोटाश

1.31 से 1.70%

कैल्शियम

0.67 से 3.0%

मग्नीशियम

0.25 से 0.68%



अमरूद सामान्य जानकारी

अमरूद (सीडियम ग्वायवा,  जाति ग्वायवा, कुल मिटसी)  भारत में केले, आम, साइट्रस और पपीता के बाद  पांचवें सबसे व्यापक रूप से उगाई गई फसल है। उच्च पोषक मूल्य, मध्यम कीमतों, सुखद सुगंध और अच्छे स्वाद के कारण फल को भारत में काफी महत्व मिला है। अमरूद में विटामिन सी और पेक्टिन का समृद्ध स्रोत है और विटामिन बी, कैल्शियम, लोहा और फास्फोरस का उदार स्रोत है। यह समृद्ध और गरीबों के समान पसंद किए गए ताजे फलों में से एक है और इसे उष्णकटिबंधीय के सेब' या 'गरीब मनुष्य का सेब' के रूप में जाना जाता है। जेली, डिब्बाबंद कप, रस और अमृत, पनीर, टॉफी बार, पाउडर, फ्लेक्स और तनावपूर्ण शिशु आहार के रूप में प्रसंस्करण के लिए केवल कुछ ही मात्रा में उत्पादन का उपयोग व्यावसायिक पेक्टिन के अलावा किया गया है।

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