फसल-उत्पादन
अमरूद (साईडियम गुजाव): अमरूद के पेड़ दीर्घ आयु वाले नहीं होते और 15-25 वर्षों तक बहुत अधिक फल लगते हैं। पेड़ अक्सर रोपाई के एक वर्ष के अंदर ही फल देने लगते हैं। अमरूद में वर्ष भर फल लगते हैं। वानस्पतिक रूप से उगाए जा रहे पौधों में तीसरे वर्ष से ही फल लगना प्रारंभ होता है और ये लगभग 30 वर्षों तक किफ़ायती पैदावार देते हैं। अच्छी तरह देखभाल किए जा रहे पेड़ प्रति वर्ष 100 से 150 कि.ग्रा. पैदावार देते हैं। पूर्ण रूप से परिपक्व होने पर, लेकिन अधपकी अवस्था में फलों की तुड़ाई की जानी चाहिए।
तुड़ाई एवं उपज
- तुड़ाई एवं उपज: फल लगने के 100 से 110 दिनों के बाद अमरूद के फलों में वृद्धि, सूक्रोज़ और पेक्टिन की मात्रा अधिकतम स्तर तक पहुँचती है। फल जब हरा-सा पीला होने पर प्रत्येक फल की तुड़ाई हाथ से की जानी उत्तम है। जल्दी ख़राब हो जाने के कारण तुड़ाई के तुरंत बाद इनको बेचना चाहिए। लेकिन कभी-कभी दो-तीन दिन रखा जाता है। अमरूद के फलों के परिवहन के लिए आम तौर पर लकड़ी के टोकरे और बाँस के टोकरे का इस्तेमाल किया जाता है। फल की स्वाभाविक मुद्रा, जैसे डंठल खड़े रूप में ऊपर की तरफ़ रखने से, फलों को ज्यादा दिन तक रखा जा सकता है। वानस्पतिक रूप से प्रवर्धित पौधे 2-3 वर्षों में और पौध 4-5 वर्षों में उपज देने लगते हैं। लाभदायक उपज रोपाई के 7-8 वर्षों के बाद प्राप्त होती है। एक पेड़ से प्रति वर्ष 500-800 फल प्राप्त कर सकते हैं। अच्छी प्रबंधन विधियों को अपनाने से 10 वर्ष के एक पेड़ से 1000 फल प्राप्त कर सकते हैं। पेड़ की आयु 30 से 40 वर्ष होती है, लेकिन 15 वर्ष के बाद से उत्पादकता घटने लगती है।